लेखनी कविता -मैं कहीं और भी होता हूँ - कुंवर नारायण

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मैं कहीं और भी होता हूँ / कुंवर नारायण मैं कहीं और भी होता हूँ जब कविता लिखता कुछ भी करते हुए कहीं और भी होना धीरे-धीरे मेरी आदत-सी बन चुकी ...

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