लेखनी कविता - नई किताबें - कुंवर नारायण

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नई किताबें / कुंवर नारायण नई नई किताबें पहले तो दूर से देखती हैं मुझे शरमाती हुईं फिर संकोच छोड़ कर बैठ जाती हैं फैल कर मेरे सामने मेरी पढ़ने की ...

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