लेखनी कविता - पुष्प की अभिलाषा -माखन लाल चतुर्वेदी

56 Part

98 times read

0 Liked

पुष्प की अभिलाषा -माखन लाल चतुर्वेदी चाह नहीं मैं सुरबाला के  गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में  बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं, सम्राटों के शव  पर, हे हरि, ...

Chapter

×