लेखनी कविता - एक तुम हो -माखन लाल चतुर्वेदी

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एक तुम हो -माखन लाल चतुर्वेदी  गगन पर दो सितारे: एक तुम हो, धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो, ‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो, हिमालय दो शिखर ...

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