लेखनी कविता - बलि-पन्थी से -माखन लाल चतुर्वेदी

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बलि-पन्थी से -माखन लाल चतुर्वेदी  मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल, कह फूल-फूल, सह फूल-फूल।  हरि को ही-तल में बन्द किये, केहरि से कह नख हूल-हूल।  कागों का सुन कर्त्तव्य-राग, कोकिल-काकलि को भूल-भूल। ...

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