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फुंकरण कर, रे समय के साँप -माखन लाल चतुर्वेदी फुंकरण कर, रे समय के साँप कुंडली मत मार, अपने-आप। सूर्य की किरणों झरी सी यह मेरी सी, यह सुनहली धूल; लोग ...