लेखनी कविता -बसंत मनमाना -माखन लाल चतुर्वेदी

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बसंत मनमाना -माखन लाल चतुर्वेदी  चादर-सी ओढ़ कर ये छायाएँ  तुम कहाँ चले यात्री, पथ तो है बाएँ।  धूल पड़ गई है पत्तों पर डालों लटकी किरणें  छोटे-छोटे पौधों को चर ...

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