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भाई, छेड़ो नही, मुझे -माखन लाल चतुर्वेदी भाई, छेड़ो नहीं, मुझे खुलकर रोने दो यह पत्थर का हृदय आँसुओं से धोने दो, रहो प्रेम से तुम्हीं मौज से मंजु महल में, ...