लेखनी कविता - मैं अपने से डरती हूँ सखि -माखन लाल चतुर्वेदी

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मैं अपने से डरती हूँ सखि -माखन लाल चतुर्वेदी  मैं अपने से डरती हूँ सखि ! पल पर पल चढ़ते जाते हैं, पद-आहट बिन, रो! चुपचाप  बिना बुलाये आते हैं दिन, ...

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