लेखनी कविता - मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक -माखन लाल चतुर्वेदी

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मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक -माखन लाल चतुर्वेदी  मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में  जी का विश्व बसा दो मालिक! रागें हैं लाचारी मेरी, तानें बान तुम्हारी मेरी, ...

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