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अमर राष्ट्र -माखन लाल चतुर्वेदी छोड़ चले, ले तेरी कुटिया, यह लुटिया-डोरी ले अपनी, फिर वह पापड़ नहीं बेलने, फिर वह माल पडे न जपनी। यह जागृति तेरी तू ले-ले, मुझको ...