लेखनी कविता - समय के समर्थ अश्व -माखन लाल चतुर्वेदी

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समय के समर्थ अश्व -माखन लाल चतुर्वेदी  समय के समर्थ अश्व मान लो  आज बन्धु! चार पाँव ही चलो।  छोड़ दो पहाड़ियाँ, उजाड़ियाँ  तुम उठो कि गाँव-गाँव ही चलो।।  रूप फूल ...

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