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संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं सूरज की सौ-सौ बात नहीं भाती मुझको बोल-बोल में बोल उठी मन ...