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उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी उठ महान! तूने अपना स्वर, यों क्यों बेच दिया? प्रज्ञा दिग्वसना, कि प्राण का, पट क्यों खेंच दिया? वे गाये, अनगाये स्वर सब, वे आये, बन ...