लेखनी कविता -तुम मन्द चलो -माखन लाल चतुर्वेदी

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तुम मन्द चलो -माखन लाल चतुर्वेदी  तुम मन्द चलो, ध्वनि के खतरे बिखरे मग में- तुम मन्द चलो।  सूझों का पहिन कलेवर-सा, विकलाई का कल जेवर-सा, घुल-घुल आँखों के पानी में- ...

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