लेखनी कविता - दावत - अमृता प्रीतम

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दावत / अमृता प्रीतम रात-कुड़ी ने दावत दी सितारों के चावल फटक कर यह देग किसने चढ़ा दी चाँद की सुराही कौन लाया चाँदनी की शराब पीकर आकाश की आँखें गहरा ...

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