लेखनी कविता - पुलिस-महिमा - काका हाथरसी

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पुलिस-महिमा / काका हाथरसी  पड़ा - पड़ा क्या कर रहा , रे मूरख नादान  दर्पण रख कर सामने , निज स्वरूप पहचान  निज स्वरूप पह्चान , नुमाइश मेले वाले  झुक - ...

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