लेखनी कविता -अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार - काका हाथरसी

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अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार / काका हाथरसी  बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर   जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर   खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू   पकड़ें टी. टी. ...

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