लेखनी कविता - कुफ़्र - अमृता प्रीतम

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कुफ़्र / अमृता प्रीतम आज हमने एक दुनिया बेची और एक दीन ख़रीद लिया हमने कुफ़्र की बात की सपनों का एक थान बुना था एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया और ...

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