लेखनी कविता -मुकाम - अमृता प्रीतम

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मुकाम / अमृता प्रीतम क़लम ने आज गीतों का क़ाफ़िया तोड़ दिया मेरा इश्क़ यह किस मुकाम पर आ गया है देख नज़र वाले, तेरे सामने बैठी हूँ मेरे हाथ से ...

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