लेखनी कविता - दाग़ - अमृता प्रीतम

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दाग़ / अमृता प्रीतम मौहब्बत की कच्ची दीवार लिपी हुई, पुती हुई फिर भी इसके पहलू से रात एक टुकड़ा टूट गिरा बिल्कुल जैसे एक सूराख़ हो गया दीवार पर दाग़ ...

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