लेखनी कविता - साल मुबारक! - अमृता प्रीतम

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साल मुबारक! / अमृता प्रीतम जैसे सोच की कंघी में से एक दंदा टूट गया जैसे समझ के कुर्ते का एक चीथड़ा उड़ गया जैसे आस्था की आँखों में एक तिनका ...

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