लेखनी कविता - ख़ाली जगह - अमृता प्रीतम

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ख़ाली जगह / अमृता प्रीतम सिर्फ़ दो रजवाड़े थे – एक ने मुझे और उसे बेदखल किया था और दूसरे को हम दोनों ने त्याग दिया था। नग्न आकाश के नीचे ...

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