लेखनी कविता -माया - अमृता प्रीतम

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माया / अमृता प्रीतम (चित्रकार विंसेण्ट वानगॉग की कल्पित प्रेमिका माया से) अप्सरा ओ अप्सरा! शहज़ादी ओ शहज़ादी! विंसेण्ट की गोरी! तुम सच क्यों नहीं बनती? यह कैसा हुस्न और कैसा ...

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