लेखनी कविता - मजबूर - अमृता प्रीतम

27 Part

63 times read

0 Liked

मजबूर / अमृता प्रीतम मेरी माँ की कोख मज़बूर थी... मैं भी तो एक इन्सान हूँ आज़ादियों की टक्कर में उस चोट का निशान हूँ उस हादसे की लकीर हूँ जो ...

Chapter

×