लेखनी कविता - ऐश ट्रे - अमृता प्रीतम

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ऐश ट्रे / अमृता प्रीतम इलहाम के धुएँ से लेकर सिगरेट की राख तक उम्र की सूरज ढले माथे की सोच बले एक फेफड़ा गले एक वीयतनाम जले... और रोशनी अँधेरे ...

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