लेखनी कविता - हादसा -अमृता प्रीतम

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हादसा /अमृता प्रीतम बरसों की आरी हँस रही थी घटनाओं के दाँत नुकीले थे अकस्मात एक पाया टूट गया आसमान की चौकी पर से शीशे का सूरज फिसल गया आँखों में ...

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