Pen of Tabish

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क़यामत

ज़िन्दगी महदूद नहीं लामहदूद है 
आँख बंद होते ही नई दुनिया देखोगे

अपने हाथों जो अमल भेजे हैं आगे
उनको इंसाफ के तराजू पर तौलता देखोगे

अभी ये सरसरी बातें लगती है 
आँख बंद होते ही कब्र का मामला देखोगे

मिट्टी से बनाया, मिट्टी में मिलाया 
फिर मिट्टी से ही खुद को पैदा देखोगे

जन्नत, दोजख, हश्र का मैदान, क़यामत
हर शख्स को उस दिन परीशां देखोगे

अभी मौका है ज़िन्दगी दुरुस्त कर लो 'ताबिश'
बंद आंखें हुई, फिर ना कोई मौका देखोगे

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9 Comments

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

29-Sep-2021 08:44 PM

Nice

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Shalini Sharma

22-Sep-2021 11:35 PM

Beautiful

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Fiza Tanvi

22-Sep-2021 06:54 AM

Bahut khoob bhai

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