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लश्कर

प्यारा वतन हमारा है दिलबर से कम नहीं।
जो भी यहां रहते हैं वो लश्कर से कम नहीं।

दिख जाए तिरंगा तो सलामी में सर झुके।
मेरे नज़र में मुल्क है ईश्वर से कम नहीं।


अहल ए वतन के दर्द में आंसू न गिरे तो।
समझो तुम्हारी आंख भी पत्थर से कम नहीं।

लश्कर ए हिंद चाहती है मुल्क सलामत।
हम जंग में उतरें तो सिकंदर से कम नहीं।

मैदान ए जंग खून की दरिया जो मांग ले।
कहना कि मांगिए तो समंदर से कम नहीं।

©®दीपक झा रुद्रा

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9 Comments

Arshi khan

01-Mar-2022 12:17 PM

उत्तम

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Arman

01-Mar-2022 11:57 AM

Nice

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Ali Ahmad

22-Feb-2022 01:55 AM

👌👌जबरदस्त

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