तस्वीर

तस्वीर
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हद से सरहद तक जाती हैं
तेरी यादें सदा रुलाती हैं
तस्वीर ही बचा सहारा हैं
जो जीवन पार लगाती हैं
              वे मीठे पल हैं याद मुझें
              वे गुजरे कल हैं याद मुझें
              रूठने पर तेरे मनाने का
              अंदाज निराले याद मुझें
आँखों से लोर न जाती हैं
मजबूरी बड़ी सताती हैं
तस्वीर ही बचा सहारा हैं
जो जीवन पार लगाती हैं
              मम्मी पापा का साथ गया,
              परिवार का अब विश्वास गया।
              सब पास पड़ोसी रिस्तेदार,
              अपनों से अपना आस गया।।
असहाय मैं घिरी अंधेरों में,
ये दूरी सदा रुलाती हैं
तस्वीर ही बचा सहारा हैं
जो जीवन पार लगाती हैं
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स्वरचित मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित..
        ✍️चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
सुंदरपुर बरजा आरा (भोजपुर) बिहार

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20 Comments

Shrishti pandey

22-Feb-2022 09:08 PM

Nice

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जी सुंदरतम अभिव्यक्ति।

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Abhinav ji

22-Feb-2022 09:08 AM

Nice one

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धन्यवाद जी

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धन्यवाद जी

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