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Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 29

अपडेट- 29

 

साजन के रुम मे मीटिंग जमी हुइ थी और सन्नाटा छाया हुवा था क्युकी जो बात साजन ने बताइ थी वो आज तक कीसी ने कभी भी नही सोची थी इसिलिये सब सोच मे पड गये थी की क्या हकीकत ये थी की उन लोगो को जानबुजकर यहा इकठ्ठा किया गया था या फिर ये कुदरत उन लोगो के साथ कुछ खेल रही थी।

आखिर मे जय ने खामोशी तोडी और पुछ लिया,”साजन तेरे पास क्या कोई ठोस सबुत है की हम सब को इसीलिए यहा इकठ्ठा किया गया है?

 

साजन जवाब दे इसके पहले मे. इन्दरराज बीच मे बोल उठे,”एक्स्क्युज मी फ्रेंन्ड्स, लेकिन अगर आप सब की इजाजत हो तो मै कुछ कहु बीच मे ?

 

सब ने हामी भर दी तो वे आगे बोल उठे,”मै और मेरी मीसीस दोनो जयपुर मे ही रहते है। मै जयपुर के कलेक्टर का पीए था और मेरी वाइफ एंजिनीयर। हम दोनो ने राजस्थान के पोलिटिशियंन्स का काम नही किया और अन्जाम हमारे दो बच्चे की मौत हो गयी। इस हादसे को भी 7 साल बीत चुके है। पर हम ने हिम्मत नही हारी और अपनी ताक़त पे केइस लडे, और मूज़े ये भी बताने मे जरा भी संकोच नही है की केइस निशी के पिताजी लडे थे। लेकिन उसने हमारी मदद करने के बजाय के जयपुर पोलिटिशियन्स के आगे घुटने टेक कर हमे केइस हरा दिया और हम मजबुर हो गये की हम हमारी तरह आगे बढे।

 

निशी ने उठकर कहा,”ये आप क्या कह रहे है ? मेरे डेड ने ऐसा किया क्या?”

 

अब अपर्णाबहन बीच मे बोली,”नीशीबहन मै भी एक बंगालन हु, इसी नाते हमने अपना केइस आप के पिताजी को सौपा था। हम आप के पिताजी के खिलाफ नही है क्यूकी आप के पिताजी भी शायद मजबुर है। क्यूकी  केइस हार जाने के बाद हम लोग उसे मिले थे, जगडा भी किया था। लेकिन उसकी आँखो मे आंसु थे और उसके आखरी शब्द थे की मै मेरी बच्ची की वजह से मजबुर हु। एक बार वो भोगत चुकी है, लेकिन मै उसे तडपता नही देख सकता।

 

निशी की आंखे तीखी हुइ और सासे फुल गइ और चिल्लकर बोल उठी,”व्होट? क्या कहा मेरे डेड ने की मै एक बार भोगत चुकी हु और मूज़े तडपता देख नही सकते। ये क्या और क्यु कहा मेरे डेड ने?”

 

साजन अब खडा हुवा और निशी को कन्धे से पकड के धीरे से बिठाया और बोला,”यस निशी, जो बात तुमने आज तक मेरे से भी छिपाई है और अपने डेड से भी, वो बात तेरे डेड ने उन्ही दिनो जान ली थी जिन दिनो तेरे साथ बलात्कार से भी शब्द कम पड जाये ऐसा घिलोना क्रुत्य हुवा था। शायद तुमने जय को सबकुछ बताना जरुरी समजा लेकिन तेरे सब से नज़दीक दोस्त को नही यार।

 

निशी चौक उठी और जय की ओर देखने लगी तो साजन ने कहा,”उस ने भी आज तक कुछ नही बताया निशी ।“

अब निशी ने नजरे जुका ली क्युकी उस की आँखो मे आँसू गये थे, उसके साथ जो हादसा हुवा इसकी वजह से नही बल्कि उस हादसे को उसके डेड ने जाना भी था लेकिन उसको बताया नही था की वो जानते थे। इसका मतलब जितना निशी ने जेला था उस से कही ज़्यादा उसके डेड ने जेला था। क्यूकी की एक अव्वल दरज्जे के वकील होने के बावजुद भी वे कुछ नही कर पाये थे। पर निशी सोच रही थी की उसके डेड ने जाना कैसे तो उसने साजन से पुछ लिया।

 

साजन,”निशी तेरे डेड ने कैसे जाना ये बात इस विडीयो केसेट मे है तू अकेली ज़रूर देख लेना। लेकिन इतना ज़रूर बता देता हु की हम सब का दुश्मन एक ही है और वो है रणवीरसींह रावत और उसके पिता राजस्थान के होम मिनिस्टर खेंगारसिह रावत।

 

निशी ने अब गुस्से मे दात भीचकर बोला,”व्होट?”

 

साजन,”यस निशी ये ही दो राक्षस है जिसने आज राजस्थान ही नही बल्कि पूरी इंडिया को कब्जे मे कर रखा है।

 

निशी गुस्से से तिलमिला उठी और उस के आंखो मे से अंगारे बरस पडे,”बास्टर्डस्, साजन मै इस हरामीयो को तो कभी माफ़ नही करूँगी।

 

साजन,”तुने ही तो जय को कहा था ना की हर एक बात का सही समय आना चाहिए, मौका मिलना चाहिए। आज तुजे मौका मिल रहा है निशी, और ये दोनो साधक राजस्थान का कोना कोना जानते है और कलेक्टॅर का पीए होने के नाते और एक एंजिनीयर होने के नाते मि. एंड मीसीस रिशी हमे फुल सपोर्ट कर रहे है की रेवोल्यूशन कैसे करना है और हम कैसे उन के  पाव ज़मीन पर ला सकते है।

 

जय,”साजन तु कैसे जानता है की निशी ने मूज़े कुछ कहा भी था।

 

साजन,”जय मै केवल शराबी नही हु, मैने भी कई साल लगाए है अपनी बहन और मा के हत्यारो के पिछे। जिस दिन स्टेडियम मे अंधेरी रात मे निशी अपना दिल खोल रही थी। मेरा एक आदमी उस फंक्शन मे हाजिर था। मूज़े मालूम था की निशी केवल तुजे ही सबकुछ कह सकती है। क्यूकी मूज़े सबलोग शराबी और आवारा के रूप मे ही जानते है। खुद निशी ने भी मूज़े समजने मे भूल की है।

 

आज मै बताता हु की मेरा एडमिशन यहा क्यु हुवा है और मै क्यु यहा आने पर तैयार हुवा था। मेरा यहा एडमिशन लेने का मिशन ही यही था की जयपुर से दूर रहकर ही इस रहस्य पर से परदा उठा सकता हु। और इस कार्य मे मूज़े कई लोगो ने हेल्प की है जो लोग इन पॉलिटिशियन्स से सताए हुवे है। उनमे से ही एक ने उस दिन स्टेडियम मे तुमलोगो की बात सुनी थी और मूज़े बताया था तो मैने पूरे हादसे का पता लगाया और निशी के डेड को भी मिला और सब बातचीत की। मै सेन अंकल के आँखो मे आँसू देखकर आया हु निशी, और मैने अपने डेड को भी बताया तो वो भी मजबूर थे इन पॉलिटिशियन्स के हाथो के नीचे, क्यूकी वो भी दूध के धुले नही है और इसीलिए वो आज मेयर है। लेकिन मै उनका बेटा हु, मजबूर नही। इसीलिए मैने फ़ैसला किया है की मै इन हरमियो को नही छोडुंगा। मेरे पास उन बास्तर्डस को सबक सीखाने का फुलप्रूफ प्लान है। लेकिन सब को आखरी बार पुछता हु की अपने अपने रिलेटिव्स की मौत के बारे मे फिर एकबार जान लो, यही पॉलिटिशियन्स लोग तुम्हारे सामने आयेंगे। इसकी ही वजह से किसी के बाप की तो किसी के रिलेटिव्स की जान गयी है।

 

साजन की आवाज अब पुरे रुम मे गुंज उठी थी और फिर से एक सन्नाटा च्छा गया वहा। सिर्फ पंखे की आवाज आ रही थी । सब सोच रहे थे की कहा से कहा बात पहुची थी। एक आनंद, मस्ती का दौर जैसे ख़तम हो गया था और जैसे एकसाथ लाशे गिरी हो ऐसा मातम का माहोल छा गया था। किसी की आँखो मे आँसू थे तो किसी की आँखो मे अँगारे, कोई दात भिच रहा था तो किसी के जबड़े सख़्त हो चुके थे। जैसे कोई फिल्म चल रही हो और डाइरेक्टर ने सब को गुस्से की प्रतिक्रिया देने की सूचना दी हो वैसा ही महॉल आज साजन की रूम मे था। साजन की आँखे अंगारा बरसा रही थी। उसके गाल के खड्डे मे ज़ख़्मी शेर की लालाश आन पड़ी थी। निशी की आँखो मे रेडिश अँगारे के साथ आँसू बरस रहे थे। बिरजू के स्नायु मे गर्माहट दौड़ रही थी, मुनीश और उदयन खामोश थे लेकिन हाथ सख्ती मे बीडे हुवे थे। निशा तो पहले ही टूट चुकी थी। मि. & मीसीस ऋषि सब को देख रहे थे और दोनो साधक अपनी अपनी नज़र जुकाये बैठे थे। बस एक अकेला जय खामोश था। बिल्कुल शांत और जैसे कुछ द्रश्य देख रहा था। उसकी नज़र कही दूर दूर थी और कुछ सोच रहा था, जैसे कॅल्क्युलेशन लगा रहा था की विधाता ने कौन सा एक और खेल शुरू कर दिया था।

 

साजन ने जय के सामने देखा और बोला,”क्या सोच रहा है जय?”

 

जय अचानक तंद्रा से बाहर आया और साजन के सामने देखा और कुछ देर देखता रहा फिर बोला,”साजन शायद तु सही कह रहा है की कुदरत के सताए हुवे हम स्टूडेंट्स को यहा इकठ्ठा किया गया है। लेकिन मैने तुजे पहले भी पुछा था और अभी भी पुछ रहा हु की ऐसे लड़के और लड़कियो को ही यहा क्यू अड्मिशन दिया गया की जिसके रिलेटिव्स की मौत आक्सिडेंट से हुई है और किसने किया ये सब।

 

साजन ने उंगली उन दो साधको की और दिखाई और संजय और अमर उनके नाम थे उनमे से अमर ने कहा,”जी हा मि. जय ये काम हमने किया है की आप सब लोग को चुन चुन कर हमने यहा अड्मिशन दिलाया है। आप के पोरबंदर के क्रिकेट कोच का संपर्क हमने किया था और कहा था की आप के पास इतने पैसे नही की आप आगे क्रिकेट खेल सको और साथ साथ आगे की पढ़ाई कर सको। बस एक समाधी ट्रस्ट ही है जो ये दोनो एकसाथ करा सकता है। इसीलिए आप का अड्मिशन यहा हुवा। वैसे ही सब लोग का संपर्क हमने अलग अलग व्यक्तियो से कराया है। और आख़िरकार आप सबलॉग यहा इकठ्ठे हुए और हमदोनो ने साजन का संपर्क किया और मि. और मीसीस ऋषि की मदद से हमने पूरा भारत परिभ्रमण किया है और जाने अनजाने मे इन पॉलिटिशियन्स के हाथो सताए हुए लोगो की मदद लेकर हमने एक फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है उनलोगो को धूल चाटने के लिए।

 

जय,”लेकिन आपलोग तो साधक हो, समाधी ट्रस्ट के लिए काम करते हो। अगर स्वामी रामानंद को पता चला की आपलोग ध्यान के अलावा युवलोगो को बहका रहे हो तो वे क्या सोचेंगे ?

 

अचानक साजन आगे आकर जय का शर्ट का कॉलर पकड़ा और खड़ा किया और बोला,”जय क्या हम लोग यंग्स्टर्स को बहका रहे है? क्या हम कोई ग़लत काम कर रहे है की स्वामीजी हमे कुछ कहेंगे? क्या तेरी आत्मा इतनी बुज़दिल है की इतना सबकुछ सुनकर भी तेरा खून गरम नही हुवा?”

 

अचानक हमले से जय सोचे इसके पहले ही साजन ने सबकुछ सुना दिया तो थोड़ी देर जय खामोश रहा, साजन अँगारे बरसाती आँखो से उसे देख रहा था और जय बोला,”मेरा ये मतलब नही है साजन कुछ सोच।

 

साजन ने फिर अपने हाथो से जय को हचमचाया और बोला,”क्या सोचु जय तु ही बोल क्या सोचु? जब मैने अपने बहन और मा के हत्यारो को ढूँढ लिया है, ऐसे हत्यारो के सताये हुवे लोगो की फौज मेरे साथ है। एक फूलप्रूफ प्लान है तो आगे सोचना क्या बस सिर्फ़ आगे बढ़ाना बाकी रह गया है।

 

जय,”एक बार फिर सोच लो साजन।

 

साजन बोले इसके पहले निशी उठी और बोली,”जय हमने सब हादसे अपनी आँखो से या तो सहे है या तो हादसे सहन करते हुवे अपने बाकी रिलेटिव्स को अपनी आँखो से देखे है। एक तु ही सिर्फ़ बाकी है जिस की मा आज भी तेरे पिताजी को जीवित मनती है। और शायद इसीलिए तुजे पता नही की अपने मा बाप या बहन को खोना क्या होता है? क्यूकी तूने समजदार होने के बाद ऐसा हादसा नही सहा है, इसीलिए इस तरह की बुजदिली की बात कर रहा है। मै तुजे से हाथ जोड़ती हु की अगर जुड़ना नही चाहता तो बीच मे भी मत आना। साजन, मै तेरे साथ हु और जय को दुबारा कभी याद मत करना बस आगे बढ़ो।

 

इतना कहकर निशी ने हाथ आगे बढ़ाया तो साजन ने उस पर हाथ रख दिया, निशा ने भी खड़ा होकर हाथ रख दिया। धीरे धीरे बिरजु और मुनीश भी खड़े हुए और अपना हाथ उपर रख दिया। मि. और मीसीस ऋषि के साथ अमर और संजय ने भी अपना हाथ उपर रख दिया। जैसे एक क्रांति की शुरुआत होने जा रही थी।

 

बस जय और उदयन बाकी थे और सब से पहले जय धीरे धीरे रूम के बाहर निकल गया और थोड़ी देर के बाद उदयन भी बाहर निकल आया।

*****

 

अचानक ब्रेक लगने से राजधानी ट्रावेल्स की बस रुक गयी और जय की तंद्रा टूटी और जय वर्तमान मे गया। देखा तो सामने गेलोप्स नाम का रेस्टोरेन्ट था। बड़ी मजेदार जगह थी। अहमदाबाद-धंधुका हाइवे से बाई और मूड के अहमदाबाद से भावनगर शॉर्ट कट से वाया धोलेरा मार्ग से जाया जा सकता था। और अहमदाबाद-धंधुका-वल्लभीपुर मार्ग से अगर भावनगर पहुचे तो साढे पाँच घंटे लगते थे, लेकिन इस शॉर्ट कट से सरकारी की बस हो या प्राइवेट बस सिर्फ़ 3 घंटे और 45 मिनिट्स मे पहुच जाती थी। ये वोही मार्ग था जिस मे रास्ते मे लोथल आता है जहा पुरातत्व खाते ने पुरानी संस्कृति खोज निकाली थी।

 

तंद्रा से बाहर के जय ने देखा की सब पेसेन्जर्स बस के बाहर निकल रहे है और सामने टीवी मे पिक्चर का शॉट को म्युट किया गया था। जय भी खड़ा हुवा और धीरे धीरे बस के बाहर गया। जेंट्स के प्रसाधन मे जाकर वो फ्रेश हो आया और होटेल गेलोप्स के आकाशी ब्लू रेसटोरंट के बाहर अमेरिकन मकाई की डिश मिलती थी। जय को अचानक याद आया की सुबह से उसने कुछ खाया पिया नही था तो उसने मकाई की एक डिश जो नींबू और अमूल बटर के साथ गरम कर के मिल रही थी, वो ऑर्डर किया और अंदर जा के एक थम्स-अप और इडली सांभार की डिश का भी ऑर्डर किया।

 

पाँच मिनिट्स मे वेइटर ने सबकुछ पेश किया और भूखे शेर की तरह जय उस खाने पर टूट पड़ा। लंबे समय से भूखा रहने से जय ज़्यादा खा नही सका और थोड़ा अधूरा छोड़ के वो जल्दी से खड़ा हुवा, लेकिन उसने देखा की सब पेसेंजर्स बस के पिछे जमा हुवे देख रहे थे। जय का ध्यान गया तो देखा की बस के पीछले टायर मे पंक्चर था और क्लीनर उसे ठीक कर रहा था। जय रेस्टोरंट की पान की शॉप पर गया और उसे आज बरसो के बाद सिगरेट पीने की इच्छा हुई तो उसने क्लासिक मेन्थोल ली और शोप के पास के लाइटर से जलाई और एक लंबी कश ले ली, छती के अंदर मेंथोल की ठंडी छा गयी और जय की आँखे बंध हुई। सिगरेट के एक एक कश वो खिच रहा था और जैसे अपने भूतकाल को खुरेच खुरेच कर बाहर निकल रहा था। जय ने रेस्टोरेंट की घड़ी देखी, बराबर शाम के 630 मीनीट हुई थी।

 

बराबर 5:45 समय पर अहमदाबाद-राजकोट एक्सप्रेस हाइवे की लास्ट चेक पोस्ट पर रुपये 50/- का रोड टॅक्स देती हुई ऑडी कार की लड़की को चेक पोस्ट वाले लड़के ने समय देखकर बताया,”क्या मेडम केवल सवा घंटे मे एक्सप्रेस हाइवे पार कर लिया, ये नया रेकॉर्ड है इस हाइवे पर।

 

लेकिन वो लड़की सुन ने के मूड मे नही थी और जल्दी से राजकोट सिटी क्रॉस कर के गोंडल और जेतपु की और निकल पड़ी, वो सोच रही थी की रात होने से पहेले जल्दी से जल्दी जुनागढ पहुच जाए और जय के आने से पहले वो पहुच जाए। जिस समय जय सिगरेट पी रहा था उसी वक़्त शाम को 6:30 बजे वो लड़की भी हाइवे की एक होटेल पर नाश्ता कर रही थी जिस होटेल का नाम था सदगुरु ढाबा। जेतपुर से जेतलसर और वहा से जुनागढ का कुल आधे घंटे का रास्ता बाकी था अब तो।

*****

 

बराबर उसी समय अहमदाबाद इंटरनॅशनल एयरपोर्ट पर मुंबई की फ्लाइट ने लेन्ड किया और वो बुजुर्ग और युवती ने एरपोर्ट से बाहर अहमदाबाद सिटी की और टेक्सी मे प्रस्थान किया। अहमदाबाद सिटी मे आते ही उस बुजुर्ग ने टेक्सी जेलर ख़ान के घर ले ली और टेक्सी खड़ी रखकर इशारे से उस लड़की को समजाकर बाहर आया और ख़ान के घर पर अंदर गया और तीन मीनिट मे वापस आया और इशारे से लड़की को समजाया की ख़ान नमाज़ पढ़ने गया है (जैसे इस कहानी मे पहले चुका है की ख़ान अपनी बीवी से बात कर के नमाज़ पढ़ने निकल जाता है उसी वक़्त इन लोगो का वहा आना होता है) तो थोड़ी देर वेइट करना होगा।

 

20 मीनीट के बाद ख़ान वापस आया और वो बुजुर्ग फिर से ख़ान के पास गया और इशारे के साथ कुछ समजाया और फिर दोनो अंदर चले गये। आधे घंटे के बाद बुजुर्ग वापस आया और टेक्सी को अहमदाबाद एयरपोर्ट की तरफ आगे बढ़ने को कहा। वो लड़की जो अब तक खामोश थी वो बोली,”अंकल ये हो क्या रहा है प्लीज़ मूज़े बताने की कृपा करेंगे?”

 

उस अंकल ने मुस्कुराते हुए शांत रहने को कहा और इशारे से टेक्सी ड्राइवर की तरफ उंगली उठाकर जैसे समजाया की एक बार एयरपोर्ट पहुच जाने दो सबकुछ समज़ा दूँगा।

 

एयरपोर्ट पर आने के बाद वो बुजुर्ग ने उस युवती को समजाया की वो लड़का जिसे हमे पकड़ना है वो चला गया है और अब कहा मिलेगा वो पता नही चलेगा और तब तक हमे पीछा करने से कोई फ़ायदा नही है।

 

जब उस युवती ने पुछा की अब क्या करना है तो बुजुर्ग ने इशारे से समजाया की अब उसे जयपुर जाना है वहा से ही इस लड़के का कुछ पता मिलेगा। लेकिन जयपुर की फ्लाइट अगली सुबह थी तो पूरी रात वही एयरपोर्ट पर ही बितानी थी।

******

 

सीबीआइ एजन्ट ग्रीष्मा कौल ने मोबाइल से अपने बोस को सब खबर दे दी। बोस ने अगला ऑर्डर दिया की फ़ौरन जुनागढ जाओ, शायद वही जय मिल जाए। ग्रीष्मा कौल को अहमदाबाद मे ही एक कार का इंतेज़ाम करा दिया गया और सेल्फ़ ड्राइव कर के वो जुआगढ के लिए रवाना हुई। बराबर अहमदाबाद-राजकोट एक्सप्रेस हाइवे और उसी रास्ते से और ऑडी कार वाली लड़की के पीछे पीछे बराबर दो घंटे लेइट चल रही थी ग्रीष्मा कौल।

******

बेंगलोर वाले चारो समाधी ट्रस्ट के साधक जयपुर रणवीरसींह के पास पहुचे थे, क्यूकी उसे आदेश मिला था की रणवीरसींह को मिले। जयपुर के आलीशान होटेल-आशियाना मे वे लोग स्युट नम्बर 101 मे उतरे थे और रणवीरसींह और शक्तिसिंह की राह देख रहे थे। थोड़ी ही देर मे वे दोनो पहुचे। सब ने इंट्रोडक्शन किया और रणवीरसींह ने शराब की बोटल खोली और सब को ऑफर किया, लेकिन उन साधको ने बिल्कुल मना किया तो ये दोनो ही पीने लगे।

 

दो घुट गले के अंदर जाने के बाद सिगरेट के लंबे कश खिचाने के बाद रणवीरसींह ने बोला,”देखो दोस्तो पंछी तो पिंज़रे से आज़ाद हो चुका है, लेकिन हमे सावधानी से आगे बढ़ना होगा। जब तक वो आगे ना बढ़े, हमे कुछ नही करना है। क्यूकी सीबीआइ टीम भी उनके पिछे लग चुकी है। जब हमे ऐसा लगे की अब वो कुछ करनेवाला है तब ही हमे एक्शन लेना है।

 

शक्तिसिंह,”लेकिन रणवीरबाबु हम राह किस बात की देख रहे है, यही मेरी समज मे नही आता। क्यू ना रास्ते मे ही उसको किडनॅप कर ले और फिर वो अपने आप ही सब उगल देगा।

 

रणवीरसींह,”शक्ति, तू इसको नही जनता। बड़ी पौलाद का बना हुवा है ये लोंडा। पुलिस  की हर तरह की मार यहा तक की थर्ड डिग्री को भी सहन कर चुका है। इसे हमारी मार क्या खाक लगेगी। दूसरा इसके आगे पिछे सिर्फ़ एक मा ही थी जो इनसे नाता तोड़ चुकी है। अब कहा रहेती है ये बुढी किसी को पता नही है ना। इसीलिए इसे ब्लॅकमेल भी नही किया जाता। दूसरा अगर हम सामने से जायेंगे तो ये शायद पुलिस या तो सीबीआइ को सपोर्ट करे तो आज तक तो हम बच पाए है, लेकिन बाकी की ज़िंदगी सलाखो के पिछे काटनी पड सकती है। तीसरा अगर हम इसे क़त्ल कर दे तो भी इसके पास जो हमारे डॉक्युमेंट्स पड़े है ये अगर किसी और के पास ही है तो भी हमारी प्राब्लम वही की वही खड़ी रहेती है। इसीलिए हमे सावधानी से काम लेना होगा। ये वो लोंडा है जिसने खंधे से खधे पॉलिटिशियन्स को भी एक बार अपने इशारो पे नचाया था। और एक बात, साले टोटल कितने लोंडे बचे है, ये भी तो हमे पता नही है ना। कितने मर गये और कितने ज़िंदा है वो भी तो ये लोंडा ही पता चलायेगा तो हमे रास्ता मिलेगा ना। सब बात की एक बात सिर्फ़ इस पर निगरानी रखो। अभी तो ये अपने शहर जाने को निकाला है। सीबीआइ की एक लौंडी इसके पिछे है और वो जो भी बात करेगी हमे डाइरेक्ट पता चलेगा, इसीलिए जब वो टोटलीक्टिव होने लगे बाद मे ही हमारा एक्शन प्लान बन सकता है, तब तक सिर्फ़ वेइट & वॉच के अलावा हम कुछ नही कर सकते।

 

थोड़ी देर खामोशी छाई रही फिर उन चार साधको मे से जो सब से बड़ा था वो बोला,”लेकिन रणवीरबाबु हमे यहा क्यू बुलाया गया है ?”

 

रणवीरसींह,”आप चारो को अलग अलग जाना है इसीलिए। मै वक़्त आने पर आप को सूचित कर दूँगा। अभी तो आप हमारे महेमान है तो हमारे फार्म हाउस मे जाइए और ऐश करिए। वक़्त आने पर हम आप को कम बतायेंगे।

 

फिर आधे घंटे के बाद कुछ इधर उधर की बाते बनाकर सब बाहर निकले और रणवीरसींह की स्कॉर्पियो मे बैठे और शहर से दूर फार्म हाउस की और गाड़ी चल दी।

*****

पंक्चर होने के बाद राजधानी एक्सप्रेस फिर से भावनगर की और निकल पड़ी और जय ने 10 मीनिट तक फिल्म देखी, लेकिन लंबे अरसे के बाद सिगरेट पीने की वजह से सिर मे थोड़ा घूम रहा था और उसको याद आया की पहली सिगरेट भी उसने तब पी थी जिस रात को वो खुद और उदयन साजन की रूम से बाहर निकल आये थे। उस रात को लेइट नाइट तक उसे नींद नही आई। सोचते सोचते वो बेड पर इधर से उधर अपने आप को घुमा रहा था। फिर वो उठा और लाइट ओन की तो तुरंत उदयन की नींद खुल गयी और अपने बेड पर उठते ही पुछा,”what’s happened JK ? (उदयन जय को JK बोलता था जय किशोरीलाल पुरोहित का शॉर्ट फॉर्म)

 

जय थोड़ी देर खामोश रहा और फिर बोला,”Udayana give me cigarette please

 

उदयन फटी आँखो से देखता रहा और बोला,”what? What do you want ?”

 

जय,”अरे फटी आँखो से क्या देख रहा है, एक सिगरेट ही तो माँग रहा हु, तेरा कलेजा नही यार।

 

उदयन ज़ोर से हस पड़ा और आगे बोला,”Then you are also coming to the track my dear, I know one day you will definitely want to smoke.

 

जय,”तू देता है की नही।

 

उदयन तुरंत खड़ा हुवा और बेड के नीचे से सिगरेट का पॅकेट निकाला और दो निकाल के मॅच बॉक्स से एक तीली निकालकर दोनो एक साथ जलाई और लंबा कश खिचकर एक जय को दी।

 

जय ने हाथ मे लेकर सीधा होठ पर ले गया और एक लंबा कश खिचा तो गले मे अटक गया और ख़ासी शुरू हो गयी। उदयन हस पड़ा और बोला,”Don’try It’s ok. It’s first time naa, you’ll be addict of it once then there will be no problem for your.”

 

 

लेकिन दूसरे ही काश से पूरी सिगरेट जैसे जय खा गया और फिर आराम से बेड पर बैठ गया और उदयन को देखने लगा।

 

उदयन ने भी ख़तम की और बोला,”What’s happened ?”

 

जय ने आँखे ताकते हुए पुछा,”Why did you not join them?”

 

उदयन,”Actually I don’t know why ? But I think you will be going to join them in future, then at that time you should not be alone to join naa and then we both will join them.

 

जय, Bastered who tell you that I will join them ?”

 

उदयन,”Nobody, but I’m sure, because all the mission which is started by anyone of your group, always you joined later on. And so that I thought that I will join them later on with you, because I fully trust on you. This is big revolution and I feel may be we will be in danger. So whenever you will be fully sastisfied with the motto and the plan, you will definitely join them and then I have nothing to think over it. I fully trust you that you will neer disappoint others, my friend.”

 

जय सोचता ही रह गया इस दोस्त पर की इसे क्या कहे? थोड़े देर बाद वो खड़ा होकर उदयन के पास आया और बोला,”उदयन यार मूज़े कुछ ठीक नही लग रहा है। ऐसा नही की साजन ग़लत है, कोई भी अपनी मा और बहन के हत्यारो को देख ले तो ऐसी ही हालत होती है। लेकिन साजन ज़्यादा पज़ेसिव होकर बात करता था और सोचने का तो बिल्कुल टाइम ही नही है जैसे उसके पास। उसने कई महीने और साल लगाए है, लेकिन हमारे पास तो एक दिन का भी वक़्त नही था। मानता हु की मै भी उन लोगो के सताया हुवा ही लड़का हु। लेकिन कुछ तो सोच समजकर चलना चाहिएना। क्यूकी वे नेतालोग है, पुलिस  उसके बाप की है। सरकार उसके तलवे के नीचे है। कही कुछ इधर उधर कर दे तो हमारी ज़िंदगी तो यही पर ख़तम। रीवोल्यूशन की तो चालू होने से पहेले ही बालमृत्यु हो जायेगी।

 

उदयन हु हु करता रहा और फिर बोला,”May be you are right, but let them go ahead whenever you will satisfy then you can join them naa

 

जय ने गुस्से से उसको देखा,”कैसा आदमी है तू ? मै उसके reeवोल्यूशन का खंडन कर रहा हु और तू है की मूज़े बोल रहा है की पहेले मै सॅटिस्फाइ हो जाउ बाद मे जोइन करू। अरे मै उसे रोकने की बात कर रहा हु। साले, तुजे कोइ मज़ा रहा है इस क्रांति मे?”

 

उदयन की जीभ सील गयी और आगे कुछ बोल नही पाया सिर्फ़ हु हु किए जा रहा था। जय को उसे देखकर तरस भी रहा था और गुस्सा भी तो उसने उदयन की आँखो मे आँखे डालकर कहा,”उदयन केन यु स्टोप धेम?”

 

उदयन,”Obviously not yaar

 

जय,”तो तू join करेगा?”

 

उदयन,”That also I’m not sure.”

 

जय,”तो मे तेरे से बाते क्यू कर रहा हु?”

 

उदयन,”I don’t know why?”

 

जय,”Oh God, hat a foolish answers are you giving me yaar !

 

उदयन ने हसकर जवाब दिया,”That also I don’t know yaar.”

 

जय अब चिल्लाया और गिन्नाया,”तो तू जानता क्या है मेरे बाप?”

 

उदयन,”Nothing Man.”

 

उदयन को जय को गुस्से मे देखकर हसी रही थी और वो ज़्यादा से ज़्यादा छेड रहा था।

 

जय ने फिर से एक सिगरेट निकाली और जला के लंबा कश खिचा और अपनी बेड पर जा के बैठ गया। थोड़ी देर के बाद उदयन खड़ा हुवा और दो चक्कर लगाए और जय से नही रहा गया तो बोला,

 

बे चक्कर क्यू काट रहा है घनचक्कर, सो जाना।

 

उदयन हसकर उसकी तरफ मुड़ा और बोला,”दोस्ती इन्तेहा लेती है, दोस्तो की ज़ाआाआअँ, दोस्तो की ज़ाआाआआं, दोस्तो की जान लेती है.......फिल्म नसीब का गाना गाने लगा।

 

जय,” Stop it yar what a rubbish thing you are doing here. I am asking you seriously and you are replying by singing ?’’

 

उदयन,” JK let me you know that now you are alone and though यू don’t want to join them, but you also don’t want to rest them alone, m I right ? Right now you are not able to think over them that either they are right or wrong, right? And you also want to let them think over again the whole thing and then they should come forward to do some thing, right?’’

 

जय ने हामी भर दी। उदयन ने उसका हाथ पकड़ के आगे बोला,” JK, my friend don’t too much worry of them. I know by bottom of my heart that until your joining the mission, the mission will not be succeded. So take your own time, it’s my feelings that they will never go ahead without you. God have already blessed you by birth, but when your time starts, the whole nature will bless you my friend. So please don’t worry, go asleep a long and let the golden tomorrow rise. Lay down and get rest my dear.’’

 

उदयन ने ज़बरदस्ती से जय को सुलाया और चद्दर ओढ़ा दी और खुद भी बेड पर जा के सो गया और चिल्लाया,”गुड नाइट मेन, सी यु ओन फ्रेश टुमॉरो।

 

लेकिन जय फिर भी थोड़ी देर सोचता रहा और कब नींद की आगोश मे खो गया खुद उसे भी मालूम नही पड़ा। लेकिन नींद मे भी ख्वाब मे वो मिशन देखता रहा और उसने मन ही मन सोच लिया की वो कभी इस जमेले मे नही पड़ेगा।

 

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6 Comments

Archita vndna

23-Feb-2022 01:04 PM

वेरी वेरी वेरी वेरी वेरी गुड स्टोरी👍👍👍👍👍👍👍👍

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PHOENIX

23-Feb-2022 04:18 PM

Thank you and stay tuned.

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Ali Ahmad

22-Feb-2022 01:42 AM

👌👌👌

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PHOENIX

22-Feb-2022 02:12 AM

Thanks

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🤫

21-Feb-2022 10:29 PM

😱😱😱 ओह नो.. इतनी अंग्रेजी भैया हमे नही आती न। सस्पेंस में रोड़ा अटक गया पढ़ते पढ़ते। वैसे ये जय स्मोक क्यों किया। और उदयन कुछ जानता वानता भी है या नहीं। और आपका बालमृत्यु शब्द यहीं से निकला है। 😛😛😛😛🤭🤭🤭🤭🤭 इंटरेस्टिंग कहानी। कहानी का अगला भाग कब तक आएगा। वेटिंग फ़ॉर नेक्स्ट..

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PHOENIX

21-Feb-2022 11:35 PM

उदयन नही उसका बाप बहुत कुछ जानता है। और अगला पार्ट भी आयेगा लेकिन 🤔कौन जाने कब और कहा ???

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