114 Part
346 times read
13 Liked
स्वयं से तू प्यार कर लें क्यों खोया है तू चकाचौंध में मृग तृष्णा है ये जीवन तेरी खुशियां है तेरे भीतर स्वयं से तू प्यार कर लें। पंचतत्व आभा से ...