स्वयं से तू प्यार कर लें

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स्वयं से तू प्यार कर लें क्यों खोया है तू चकाचौंध में मृग तृष्णा है ये जीवन तेरी खुशियां है तेरे भीतर स्वयं से तू प्यार कर लें। पंचतत्व आभा से ...

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