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न जाने क्यों,हमारा मुकद्दर खफ़ा हो गया है तर्क वितर्क की छाई है घनघोर छाया जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रश्न ही प्रश्न है आकांक्षाओं को कोई पूर्ण न कर सका ...