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"काहे बिटिया, काहे कोसत हो। कैसा चाँद से तो हैं छोटे बाबू और कैसा हँस के बातें करते हैं। माई का जाने कैसे हियाव पड़ा कि उन्हें अलग कै दिहिस बेचारा ...