गुनाहों का देवता

159 Part

36 times read

0 Liked

छिह, चन्दर! आज तो हम संभल गये हैं, हमने सब स्वीकार कर लिया चुपचाप अब तुम कमजोर मत बनो, तुमने कहा था, मैं शान्त रहूँ तो शान्त हो गयी। अब क्यों ...

Chapter

×