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सोच लो चन्दर इतने दृढ़ हो.. इतने कठोर हो... मुझसे मुँह से क्यों कहलवाना चाहते हो... क्या सारा सुख लूटकर थोड़ी-सी आत्मवंचना भी मेरे पास नहीं छोड़ोगे? अच्छा लो, मेरे देवता! ...