चंदर की खामोशी

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आगे बढ़ता लेकिन तूने अपनी मन की गंगा को व्यक्ति की छोटी-सी सीमा में बाँध लिया, उसे एक पोखरा बना दिया, पानी सड़ गया, उसमें गंध आने लगी, सुधा के प्यार ...

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