हवा का झोंका

114 Part

303 times read

13 Liked

हवा का झोंका मचल जरा बहल जरा तू गिर के फिर संभल जरा हवा का झोंका तो कुदरत का उपहार है यह स्थिर कहां रह पाएगा दिल से तुम हंसना सीखो ...

Chapter

×