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विष्णुपद छंद 16/10 अंत गुरु अनिवार्य शीत ऋतु नव यौवन ले आती मेघा,नभ को घेर रही । झूम-झूम कर रूप बदलती, गिरिवर छेड़ रही। धवल शिखर है हिम चादर से, शीतल ...