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गहरा चढ़ा है रंग मगर इस कदर नहीं
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : कविता
शजर का साया ही उसकी आना है
ऐसे कैसे यार नहीं कर सकते हम
क्यों छोड़ते नहीं हो मुझे मेरे हाल पर
देख के ढल
मेरा क्या
ग़ज़ल हुई
रात अंधेरा तारी होने लगता है
दिल उदास है
होश और जोश
बड़ी मुश्किलों
जाते हैं
हम सह सकते थे
बहुत कुछ होता
कितना है प्यार याद दिलाने की देर है
कब होता है
सलीका
हँसी देते है
मुकद्दर से पेशतर
अगर तू होता
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