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वो मिलने आए
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : कविता
दर्द भरी चींखें
मोहब्बत के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो
इक लम्हा ठहरो तेरे माफ़िक निखर जाएंगे
अश्क की एक बूंद न छलकी उस आँख से
जय श्री राम राघवेन्द्र
इसबार इश्क के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो ,
💐बचपन लौटा दो💐
वो मिलने आये
कान्हा बन जाऊं
गुलनार
चंचल चपला
जमाना बदल गया
🧜♀️प्रेयसी🧜♀️
दर-ओ- दीवार
जिन्दगी
उत्प्रेक्षा
प्रथम मिलन
घूंघट की ओट
भाषा - कोटि - : हमारी सोच
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