राजर्षि

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जयसिंह अत्यंत कातर होकर बोल उठा, "नहीं महाराज, मुझे एक के बाद एक संशय से संशयांतर में मत ले जाइए - मुझे किनारे से ठेल कर समुद्र में मत गिराइए - ...

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