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राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : बारहवाँ परिच्छेद जयसिंह उसके अगले दिन मंदिर में लौट कर आया। अब तक पूजा का समय निकल चुका है। रघुपति दुखी चेहरा लिए अकेला बैठा ...