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राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : तेरहवाँ परिच्छेद मंदिर में अनेक लोग एकत्र हो गए हैं। खूब कोलाहल हो रहा है। रघुपति ने रूखे स्वर में पूछा, "तुम लोग क्या करने ...