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राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : चौदहवाँ परिच्छेद उसके अगले दिन आषाढ़ की उनतीसवीं तिथि। आज रात चतुर्दश देवताओं की पूजा है। आज जब प्रभात में ताड़-वन की ओट से सूरज ...