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राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : पन्द्रहवाँ परिच्छेद चतुर्दशी तिथि। बादल भी छाए हैं, चन्द्रमा भी निकला है। आकाश में कहीं आलोक है, कहीं अंधकार। कभी चन्द्रमा निकल रहा है, कभी ...