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नक्षत्रराय ने हाथ जोड़ कर अत्यंत कातर स्वर में कहा, "ठाकुर, मुझे क्षमा कीजिए, ठाकुर - मैं कहीं भी नहीं जाना चाहता। मैं यहीं ठीक हूँ।" रघुपति ने एक भी बात ...