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नयनों से ऐसे अश्रु झर रहे जैसे पर्वत से झरने बहते हैं अधर शान्त हैं ऐसे चिपके जैसे कोई वो मन्त्र जप रहे हैं चेहरे की भाव भंगिमा ऐसी जैसे सागर ...