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श्रवण के बंशज सावधान संस्कृतियो के तुम स्वामी हो । मै विनत भाव कटिबद्ध खडा तुम एकलव्य पथगामी हो ।। जब अनाचार का भाव जगे जब फैले मन में अधियारा । ...